डेस्क. दोपहिया-चारपहिया गाड़ियों, हवाई जहाज समेत अधिकांश वाहनों व दूसरे कामों में इस्तेमाल होने वाले इंजनों को चलाने के लिए पेट्रोल या डीजल जैसे फ्यूल यानी ईंधन का इस्तेमाल होता है. ये दोनों लिक्विड फॉर्म में होते हैं. लेकिन, क्या सॉलिड फार्म के ईंधन से आप वाकिफ है. जी हां, लकड़ी, कंडे, कोयला आदि को जलाकर ईंधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं वे सब सॉलिड फ्यूल है.
दिवाली के समय इस्तेमाल होने वाले रॉकेट में भी उसे उड़ाने के लिए सॉलिड को ही जलाया जाता है. लेकिन, नॉर्थ कोरिया ने अपनी बैलिस्टिक मिसाइल को सॉलिड फ्यूल से उड़ा दिया है. इसके साथ ही साउथ कोरिया व अमेरिका जैसे देशों की नींद भी इससे उड़ गई है.
बता दें कि नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन आए दिन अलग-अलग हथियारों, मिसाइलों का परीक्षण कर इसी तरह अपने दुश्मन देशों को चौंकाते रहता है. ये जो नया बैलिस्टिक मिसाइल है, उसकी चर्चा सबसे दो कारणों से हो रही है. एक तो इसमें इस्तेमाल होने वाला ठोस ईंधन और इसकी गति. इतना ही नहीं, इसे पता लगा पाना भी किसी चुनौती से कम नहीं है.
ये होता है सॉलिड फ्यूल
सॉलिड फ्यूल ऐसे ईंधन को कहते हैं जो ठोस रूप में होते हैं. इसमें चारकोल, लकड़ी, कोयला, फ्यूल टेबलेट, लकड़ी के पैलेट्स, कंडे आदि शामिल हैं. कई प्रकार के रॉकेटों में भी ठोस ईंधन इस्तेमाल होता है. लेकिन, मिसाइल में सॉलिड फ्यूल का ये पहला मामला है, जिसका नॉर्थ कोरिया ने सफल परीक्षण भी कर लिया है. जहां तक इसके फायदे की बात करें तो इन मिसाइलों को कहीं भी स्टोर करने, लाने-ले जाने में ज्यादा आसान होती हैं. लॉन्च करने में भी ज्यादा दिक्कतें नहीं आतीं. जबकि लिक्विड फ्यूल वाली मिसाइलों में ईंधन भरना पड़ता है. इन्हीं सब खासियतों की वजह से नॉर्थ कोरिया के दुश्मन देश डरे हुए हैं.
30 जून को सेना भर्ती के लिए ऑनलाइन परीक्षा, पांच शहरों में होंगे CEE टेस्ट
15 राज्यों में भारी बारिश को लेकर अलर्ट, मौसमी सिस्टम मचा सकता है भारी तबाही
Copyright © 2021 Newsbaji || Website Design by Ayodhya Webosoft