रायपुर. छत्तीसगढ़ में घर छोड़कर जाने वाले नाबालिगों में लड़कों से ज्यादा लड़कियों की संख्या है. अधिकांश लड़के जहां नाराज होकर तो लड़कियां किसी से प्रेम प्रसंग के कारण जा रही हैं. ये उन आंकड़ों का विश्लेषण है जो छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा चलाए जा रहे ऑपरेशन मुस्कान के दौरान सामने आए हैं.
ये हैं घर छोड़ने के प्रमुख कारण
559 में से 487 लड़कियां
नाबालिगों की तलाश कर उन्हें वापस घर लाने के लिए पुलिस द्वारा प्रदेशभर में चलाए जा रहे ऑपरेशन मुस्कान में आंकड़े चौंकाने वाले हैं. 1 से 30 जून तक इस मुहिम में 559 नाबालिगों को खोजकर वापस उनके घर पहुंचाया गया है. इनमें से 487 तो लड़कियां ही हैं. वहीं लड़कों की संख्या महज 72 ही हैं. घर छोड़कर जाने वाले नाबालिगों के आंकड़ों में भी कुछ इसी तरह का ही अंतर है.
ये लापरवाही पड़ रही भारी
किशोरावस्था से युवावस्था की ओर जाती लड़कियों को समुचित ज्ञान देना, उनसे दोस्ती करना माता-पिता जरूरी नहीं समझते. इसके अलावा उनके मोबाइल चलाने की आदत, सोशल साइट्स पर अनजान लोगों से दोस्ती, नजदीकी दोस्तों आदि को लेकर गंभीर नहीं होने जैसी पेरेंट्स की लापरवाही भारी पड़ रही है.
यौन शिक्षा जरूरी
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि बच्चों विशेषकर किशोर बेटे-बेटियों को यौन शिक्षा देना भी उतना ही जरूरी है, जितना औपचारिक और व्यावहारिक ज्ञान महत्वपूर्ण होता है. इससे वे अच्छे और बुरे लोगों को समझने के साथ ही अपने अच्छे-बुरे के बारे में जानेंगे. अपने भविष्य को लेकर सजग रहेंगे.
यहां मामले ज्यादा
आंकड़ों के विश्लेषण से ये भी पता चला है कि घर छोड़कर जाने वालों में ग्रामीण क्षेत्र के किशोर-किशोरियां ज्यादा हैं तो शहर से लगे स्लम बस्तियों से भी उनकी तादात अच्छी-खासी है. जबकि कई जगहों के मामले पुलिस तक पहुंच भी नहीं पाते हैं.
इस जिले में सर्वाधिक मामले
जिलों की बात करें तो इस सूची में जांजगीर-चांपा जिला टॉप पर है. यहां 76 नाबालिगों को बरामद किया गया है. जबकि रायपुर के 56 और बिलासपुर व सक्ती जिलों के 52-52 बच्चों को पुलिस ने ढूंढा है. यानी घर छोड़कर जाने वाले भी इसी अनुपात में हैं.
इन राज्यों से हुए बरामद
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