रायपुर। छत्तीसगढ़ में एक बार फिर जवानों ने नक्सलियों पर ताबड़तोड़ अटैक किया है। अबूझमाड़ के जंगल में हुए एनकाउंटर में सुरक्षाबलों ने नक्सली लीडर सहित 27 नक्सलियों को मार गिराया है। इलाके की सर्चिंग के सभी शव और हथियार बरामद कर लिए गए है।
बसवा राजू का एनकाउंटर
नक्सली-डीआरजी (जिला रिजर्व गार्ड) फोर्स की मुठभेड़ में नक्सलियों के टॉप लीडर लगभग 70 वर्षीय बसवा राजू, नंबाला केशव राव उर्फ गगन्ना उर्फ प्रकाश को मार गिराया है। जिस पर लगभग 1.50 करोड़ रुपए का इनाम था, बताया जा रहा है कि उसने बीटेक की पढ़ाई की। मेडिसन के बारे में वो अच्छी खासी जानकारी रखता था। बसवा आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियन्नापेट गांव का रहने वाला था।
PM मोदी ने कहा- हमें सैन्य बलों पर गर्व है
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक्स पर ट्वीट कर कहा है कि इस उल्लेखनीय सफलता के लिए हमें अपने सैन्य बलों पर गर्व है। हमारी सरकार माओवाद के खतरे को खत्म करने और अपने लोगों के लिए शांतिपूर्ण और प्रगतिशील जीवन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
सुरक्षा बल के जवानों की मिली बड़ी सफलता
वहीं, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि, नक्सलवाद को खत्म करने की लड़ाई में सुरक्षा बलों ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। आज छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में एक ऑपरेशन में हमारे सुरक्षा बलों ने 27 खूंखार माओवादियों को मार गिराया है, जिनमें सीपीआई-माओवादी के महासचिव, शीर्ष नेता और नक्सल आंदोलन की रीढ़ नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू भी शामिल हैं।
अमित शाह ने लिखा कि, नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के तीन दशकों में यह पहली बार है कि हमारे सुरक्षाबलों ने एक महासचिव स्तर के नेता को मार गिराया है। मैं इस बड़ी सफलता के लिए हमारे बहादुर सुरक्षा बलों और एजेंसियों की सराहना करता हूं। उन्होंने कहा कि, यह बताते हुए भी खुशी हो रही है कि ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के पूरा होने के बाद छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र में 54 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है और 84 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। मोदी सरकार 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को खत्म करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
कौन था बसवा राजू?
जानकारी के अनुसार, बसवा राजू एक खूंखार नक्सली था। वो सीपीआई (माओवादी) का सुप्रीम कमांडर था। उसे नक्सल संगठन का थिंक टैंक भी कहा जाता था। वर्ष 2018 में नक्सली लीडर गणपति ने अपना पोस्ट थोड़ दिया था। उसकी जगह राजू ने ले ली। बसवा राजू ने जवानों पर कई अटैक प्लान किए। वो कई जवानों की शहादत का जिम्मेदार भी रहा। वो आंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले का रहने वाला था। स्टूडेंट लाइफ से ही उसने वामपंथी गतिविधियों में शामिल होने शुरू कर दिया था। रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन (RSU) का सदस्य रहा। धीरे-धीरे वो CPI (माओवादी) के महासचिव की पोस्ट तक पहुंचा। NIA के साथ-साथ तेलंगाना और आंध्र प्रदेश पुलिस की मोस्ट वांडेट लिस्ट में भी वो शामिल रहा।
वहीं, कई बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड था। वर्ष 2003 में अलीपिरी बम हमले में भी उसकी अहम भूमिका रही। वर्ष 2010 में उसने दंतेवाड़ा में घात लगाकर हमला किया था। इस हमले में 76 CRPF के जवान शहीद हो गए थे। उसने M-Tech तक की पढ़ाई की थी। गोरिल्ला वॉर और IED बम प्लांट करने में वो काफी माहिर था। राजू की मौत के बाद अब नक्सली संगठन की कमर टूट गई है।
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