राजनांदगांव/अंबिकापुर. छत्तीसगढ़ में आदिवासी अंचल के प्रमुख वनोपजों में से एक तेंदुपत्ता को लेकर दो बड़ी खबरें हैं. एक ओर जहां राजनांदगांव में नक्सलियों ने तेंदूपत्ता के फड़ में आग लगा दी और अब संग्राहकों में खौफ पैदा हो गया है. उधर, सरगुजा अंचल में जंगल में हाथियों का डेरा है, जिसके कारण संग्राहक तोड़ाई के लिए जंगल में प्रवेश करने से डर रहे हैं. दोनों ही परिस्थितियां संग्राहकों के प्रतिकूल हो गया है और तोड़ाई व बिक्री के पिक सीजन में यह उन पर भारी पड़ रहा है.
आग लगाकर फेंंका पर्चा, संग्राहकों में दहशत
बता दें कि अविभाजित राजनांदगांव जिले के मानपुर के दक्षिण मानपुर वन परिक्षेत्र में समितियों के माध्यम से खरीदे तेंदूपत्ता को फड़ बनाकर रखा गया है. गुरुवार की देर रात नक्सलियों ने इस फड़ में धावा बोल दिया. कुल छह समितियों से संग्रहित 6 फड़ों में इन नक्सलियों ने आग लगा दी. इससे बड़ी मात्रा में तेंदूपत्ता जल गए हैं.
इस दौरान नक्सलियों ने पर्चे भी फेंके हैं, जिसमें लिखा गया है कि तेंदूपत्ता का रेट 600 रुपये मानक बोरा किया जाए. अन्यथा वे इसी तरह की और वारदात करेंगे. इससे संघ के अलावा अब तेंदूपत्ता संग्राहक भी डर गए हैं. उन्हें अभी जंगल से और तेंदूपत्ते लाने थे, लेकिन वे दहशत में हैं.इधर, सूचना मिलते ही पुलिस की टीम घटना स्थल पहुंच गई है और मामले की जांच कर रही है.
सरगुजा में डरा रहा जंगली हाथियों का स्वच्छंद विचरण
कुछ इसी तरह की समस्या से सरगुजा अंचल के तेंदूपत्ता संग्राहक गुजर रहे हैं. यहां नक्सली तो नहीं, लेकिन जंगली हाथी डरा रहे हैं. बता दें कि सरगुजा फॉरेस्ट सर्कल के अंतर्गत आने वाले वनमंडल जशपुर, मनेंद्रगढ़, कोरिया, सरगुजा, बलरामपुर व सूरजपुर में कमोबेश यही स्थिति है. दहशत ऐसा कि सुबह जंगल के लिए निकल रहे हैं और फिर 10 बजे से 11 बजे तक लौट जा रहे हैं.
कारण ये कि गांवों से लगे जंगल के आसपास ही हाथियों की मौजूदगी बनी हुई है. विलंब होने पर हाथियों से सामना होने का खतरा बना हुआ है. इसी के चलते संभाग में 3 लाख 63 हजार 600 मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण के लक्ष्य के मुकाबले अब तक महज 93 हजार 978 मानक बोरा तेंदूपत्ता का ही संग्रहण हो सका है.
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