कांकेर. अफसरशाही तो बेहद छोटा शब्द है उस हरकत के आगे जैसी इस फूड इंस्पेक्टर ने की है. डैम में रुका पानी जो किसानों की फसल की प्यास बुझाता उसे एक मोबाइल के चक्कर में बहा दिया. खास ये कि जिस वक्त मोबाइल गिरा, वह कोई जरूरी काम के लिए नहीं, महज पार्टी करने आया था और दोस्तों के साथ सेल्फी ले रहा था. मामला भी कांकेर के पखांजूर में परलकोट जैसे इलाके का है, जहां बूंद-बूंद पानी के लिए लोग झिरिया और ढोढ़ी के भरोसे रहते हैं.
बता दें कि परलकोट जलाशय के स्कैलवाय का पानी पहली बार खाली किया गया. पखांजूर के परलकोट जलाशय में फोन निकालने के लिए चलाया गया 4 दिनों का आपरेशन इलाके में चर्चा का विषय बन गया है. दरअसल, रविवार को पखांजूर निवासी और वतर्मान में पखांजूर में ही फूड इंस्पेक्टर राजेश विश्वास अपने दोस्तों के साथ यहां पार्टी मनाने आया था. सेल्फी लेते डैम के स्कैलवाय के पास फूड इंस्पेक्टर का सवा लाख का सैमसंग एस24 अल्ट्रा फोन पानी में गिर गया. फिर क्या था, सोमवार की सुबह ही वापस डैम पहुंचा और पहले तो गोताखोरों की मदद से कोशिश की. फिर डैम ही खाली कराने के लिए गेट खुलवा दिया.
सूखा कर ही मानता ये अफसर
बता दें कि जिस जगह पर फोन गिरा था वहां अतरिक्त पानी निकालने के लिए स्कैल वाय लगा है. इससे वहां 10 फिट से अधिक पानी था. जबकि जलाशय का पानी नीचे से आता रहता है जिससे पानी कम नहीं होता. तब उसने 30 एचपी के मोटर पंप लगवा दिए गए, जिससे तेजी से पानी निकाला जा सके. इस मामले में सिंचाई विभाग के एसडीओ आरएल धीवर ने बताया कि फूड इंस्पेक्टर ने थोड़ा पानी निकालने की बात मौखिक रूप से कही. बाद में आकर देखा तो धोखे में रखकर बहुत सारा पानी बहा दिया था. तब इसे बंद कराया. माना जा रहा है कि यदि जलसंसाधन विभाग के अफसर ध्यान नहीं देते तो वह पानी पूरी तरह खाली कराकर ही मानता.
राशन दुकान संचालक भी उतरे पानी में
फूड इंस्पेक्टर का रसूख ऐसा कि क्षेत्र के कई राशन दुकान संचालक तक मौके पर पहुंच गए थे और वे भी पानी में उतरकर उसका मोबाइल तलाशते रहे. इसके अलावा वह गोताखोर तो बुलाया ही था, डीजल पंप से भी पानी खाली कराया.
मोबाइल मिला भी तो बंद हालत में
इधर, गुरुवार को अफसर का मोबाइल फोन मिल गया, लेकिन वह भी बंद हालत में मिला है. बहरहाल मोबाइल दुरुस्त हो या न हो, अफसर अपनी सफाई में कह रहा है कि उसमें विभागीय जानकारियां भी हैं, जिसके कारण मोबाइल को हासिल करना बेहद जरूरी था. देखने वाली बात ये है कि किसानों और आम लोगों से उनके हक का पानी छीनने के मामले में आखिर क्या कार्रवाई होती है. जलसंसाधन विभाग आगे आता है या खाद्य विभाग या प्रशासन. सबकी निगाह अब इसी ओर है.
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