रायपुर. खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने की दिशा में केंद्र सरकार आगे बढ़ गई है. शुरुआत गेहूं और आटे के भाव पर शिकंजा कसने से की गई है. पहले तो अपने स्टॉक को ओपन मार्केट में बेचने का फैसला किया है. वहीं अब थोक से लेकर रिटेलर्स के पास गेहूं का स्टॉक लिमिट कर दिया गया है. इसी के तहत छत्तीसगढ़ में भी फूड डिपार्टमेंट ने सभी कलेक्टरों को पत्र लिखा है, जिसमें निर्धारित किए गए स्टॉक की जानकारी व्यापारियों की बैठक लेकर दी जाए और इसका पालन सख्ती से कराया जाए. यानी जल्द ही इसका असर आटे के दाम में गिरावट के रूप में देखने को मिलेगा.
15 साल में पहली बार स्टॉक लिमिट
जब किसी भी सामान की कीमतें बढ़ती हैं, तो उसके पीछे दो कारक जिम्मेदार होते हैं. एक प्राकृतिक आपदा, जिसमें सच में संबंधित उत्पाद मार्केट में कम हो जाता है. दूसरा, कृत्रिम कारक होता है. इसमें व्यापारी जमाखोरी कर बाजार में कमी ला देते हैं और फिर महंगे दामाें में बेचते हैं. इसी जमाखोरी को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा कभी-कभी स्टॉक लिमिट तय कर दी जाती है. इससे ज्यादा का स्टॉक रखना व्यापारियों के लिए गैरकानूनी होता है. केंद्र सरकार द्वारा पिछले 15 सालों में ये पहला मौका है जब किसी उत्पाद या खाद्य सामग्री का स्टॉक लिमिट किया गया है.
इतना रख सकेंगे गेहूं का स्टॉक
थोक विक्रेता- 3000 टन
रिटेल आउटलेट- 10 टन (प्रत्येक आउटलेट में)
बिग चेन रिटेलर- 10 टन (प्रत्येक आउटलेट में)
रिटेलर के डिपो में- 3000 टन
प्रोसेसर्स- वार्षिक संस्थापित क्षमता का 75 प्रतिशत
कलेक्टरों को ये करना होगा
कलेक्टर अपने क्षेत्र के व्यापारियों की सीधे या अधीनस्थ अधिकारी अपने संबंधित क्षेत्र की व्यापारियों की बैठक लेंगे. इसमें व्यापारियों को लिमिट की जानकारी देनी होगी. साथ ही उन्हें चेतावनी दी जाएगी कि ज्यादा स्टॉक मिलने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. वह भी सख्त कार्रवाई.
केंद्र सरकार ने ये किया
स्टॉक लिमिट पर सख्ती से पहले केंद्र सरकार ने भी एक बड़ा कदम उठाया है. एक तो गेहूं के निर्यात पर पहले ही प्रतिबंध लगाया गया है. इस बीच गेहूं का आयात भी नहीं किया जाएगा. साथ ही अपने स्टॉक को ओपन मार्केट में उतारा जा रहा है. इन सबका असर गेहूं व आटे की महंगाई कम करने के रूप में दिखेगा.
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