रायपुर. स्टेट से मिलने वाले कुछ फंड को छोड़ दें तो सेल्फ रेवेन्यू मोड पर चलने वाले छत्तीसगढ़ के सभी नगर निगमों में जनता से वसूले टैक्स को ही अलग-अलग कामों में लगाया जाता है. लेकिन, रायपुर नगर निगम के कुछ अफसरों ने उसी राजस्व में से करीब 27 करोड़ को अपने और कुछ एजेंसियों को फायदा पहुंचाने में खर्च कर अपनी जेबें गर्म कर ली हैं. इसमें अवैध होर्डिंग से लेकर चौक तक बनवा दिए. यहां तक कि महापौर को भी कानोंकान खबर नहीं हुई. अब उन्होंने स्वयं मामले की जांच कराने की बात कही है.
यहां हुई गड़बड़ी
माता सुंदरी स्कूल के पास चौक बनाया गया है. यह न नगर निगम की एमआईसी में पास हुआ है न मामला सामान्य सभा में गया है. जबकि इससे कभी भी बड़े हादसे हो सकते हैं. बाकायदा ग्रेनाइट पत्थरों से चौक को चमकाया गया है. होर्डिंग लगाकर विज्ञापन बोर्ड लगाए जाते हैं, जिससे निगम को विज्ञापन से कमाई होती है. यहां इस काम के लिए बिना एमआईसी में टेंडर कराए ही होर्डिंग और यूनिपोल लगाए गए हैं. स्क्रीन का साइज 15 बाई 9 होती है, जिस 18 बाई 18 कर दिया गया है. काम एड एजेंसियों के मनमुताबिक हुए हैं, जिससे उन्हें फायदा हो सके.
ऐसे पता चला 27 करोड़ का घोटाला, मेयर को पता नहीं
घोटाले की बात स्वयं मेयर एजाज ढेबर ने कही है. बल्कि उन्होंने कुछ विशेषज्ञों के पैनल के जरिए बिना अनुमति के कराए इन कामों का आकलन कराया है, जिससे इस गड़बड़ी का पता चला है. उन्होंने मामले की जांच को और उच्च स्तर पर कराने की बात कही है, जिसमें लोकायुक्त जांच समेत अन्य एजेंसियां हो सकती हैं.
घटना-दुर्घटना पर उठेंगे सवाल
मेयर ने ये भी कहा है कि जो अवैध काम कराए गए हैं उनमें अफसरों ने अपने और निर्माण एजेंसियों के फायदे के लिहाज से काम को अंजाम दिए हैं. काम की गुणवत्ता का भी भरोसा नहीं है. यदि इनमें किसी तरह की दुर्घटना हो जाती है तो नगर निगम और इसके जिम्मेदारों को दोषी ठहराया जाएगा. जबकि काम ही अवैध तरीके से हुआ है. मिलीभगत करने वालों के अलावा कोई इन्वाल्व ही नहीं है.
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