अंबिकापुर। शहर के अंदर एक जंगली हाथी के घुसने की खबर ने दो दिन पहले प्रदेशभर में हलचल मचा दी थी। वहीं अब हाथी जिन रास्तों से गुजरा था उसी बीच रविवार की सुबह एक ग्रामीण की लाश मिली है। इससे माना जा रहा है कि हाथी ने ही उसकी जान ली होगी। लाश की हालत देखकर भी यही प्रतीत हो रहा है। जबकि वन अफसर इससे इनकार कर रहे हैं और इसके पीछे कई तर्क भी दे रहे हैं। वहीं इसकी पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद होने की कह रहे हैं।
बीते 19 जनवरी को एक जंगली हाथी भटककर एक हाथी शहर के सरगंवा जैव विविधता केंद्र में घुस गया था। यहां इसकी दीवार तोड़ने के अलावा बांसबाड़ी में आतंक मचाया, फिर वन अधिकारियों की कॉलोनी में भी पहुंच गया था। वहां सीसीएफ (मुख्य वन संरक्षक) के बंगले की बाउंड्रीवाल को गिरा दिया था। इसके अलावा हाथी अंबिकापुर-रामानुजगंज मेनरोड को पार करते हुए तकिया रोड और शिकारी रोड के बीच झाड़ियों के बीच रुका हुआ था। इस पूरे इलाके में विचरण करने के बाद पत्थलगांव की ओर जंगल में चला गया था।
अब तक माना जा रहा था कि वन अमला हाथी को सुरक्षित तरीके से जंगल में खदेड़ने में कामयाब रहा। लेकिन, रविवार की सुबह गाड़ाघाट से लगे छोटे झाड़ के जंगल के बीच मौजूद तालाब के किनारे खैरवार निवासी 55 वर्षीय प्रकाश केरकेट्टा की लाश मिली है। प्रथमदृष्टया हाथी के हमले से ही मौत होने की बात कही जा रही है। जबकि वन अफसर कह रहे हैं कि लाश दो दिन पुरानी होती तो अब तक सड़ने लगती। दूसरा सवाल खड़े कर रहे हैं कि दो दिनों से व्यक्ति के गायब रहने पर परिजनों ने कहीं कोई शिकायत क्यों नहीं की। वे कह रहे हैं कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही कुछ कहेंगे।
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