अंबिकापुर. छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में हुए बहुचर्चित जमीन घोटाले के मामले में तत्कालीन नजूल अधिकारी, आरआई और क्लर्क के ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. दरअसल, कोर्ट ने इनकी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. शासन को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाने के ये आरोपी अब बड़े पदों पर बैठे हुए हैं.
बता दें कि इस चर्चित जमीन घोटाले में तत्कालीन नजूल अधिकारी नीलम टोप्पो, राजस्व निरीक्षक नारायण सिंह और क्लर्क अजय तिवारी के अलावा राजस्व निरीक्षक राहुल सिंह पर भी कूटरचना कर शासकीय गोचर मद की जमीन का फर्जी तरीके से नामांतरण कर शासन को करोड़ों रुपये की आर्थिक क्षति पहुंचाने का आरोप है.
तत्कालीन नजूल अधिकारी नीलम टोप्पो, राजस्व निरीक्षक नारायण सिंह और क्लर्क अजय तिवारी की ओर से उनके अधिवक्ताओं ने पंचम अपर सत्र न्यायाधीश ओपी जायसवाल की अदालत में अग्रिम जमानत आवेदन प्रस्तुत किया था. कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद जमानत आवेदन निरस्त कर दिया है. सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि अपराध की प्रकृति गंभीर एवं अजमानतीय है. इसमें आजीवन कारावास तक के दंड का प्रावधान है.
केस डायरी में शामिल दस्तावेजों से प्रतीत हो रहा है कि आपराधिक षड़यंत्र कर शासकीय दस्तावेजों में कूटरचना कर अविधिक रूप से बहुमूल्य शासकीय भूमि का अवैध अंतरण एवं विक्रय किए जाने के संबंध में पर्याप्त साक्ष्य संग्रहण किया गया है. प्रारंभिक जांच में आरोपियों ने शासकीय सेवक के रूप में अपने कर्तव्य के निर्वहन के विपरीत अवैधानिक रूप से उपरोक्त आपराधिक षड़यंत्र में संलिप्त रहने के संबंध में साक्ष्य संग्रहित है.
जिला पंचायत सीईओ हैं नजूल अफसर
इस मामले में लिप्त पाए गए तत्कालीन नजूल अधिकारी नीलम टोप्पो का प्रमोशन हो चुका है. वर्तमान में वे कोंडागांव में जिला पंचायत सीईओ के रूप में पदस्थ हैं.
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