लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से सपा और बसपा दोनों आमने-सामने आ गए है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक्स पर पोस्ट लिखा है, कांग्रेस, भाजपा आदि की तरह सपा भी बहुजनों में से खासकर दलितों को इनका संवैधानिक हक देकर इनका वास्तविक हित, कल्याण व उत्थान करना तो दूर, इनकी गरीबी, जातिवादी शोषण व अन्याय-अत्याचार आदि खत्म करने के प्रति कोई सहानुभूति/इच्छाशक्ति नहीं है, जिस कारण वे लोग मुख्यधारा से कोसों दूर हैं।
साजिश जिसे भूला नहीं जा सकता
मायावती ने आगे लिखा कि, सपा द्वारा बीएसपी से विश्वासघात किया गया, उसके नेतृत्व पर 2 जून को जानलेवा हमला, प्रमोशन में आरक्षण का बिल संसद में फाड़ना, इनके संतों, गुरुओं व महापुरुषों के सम्मान में बनाए गए नए जिले, पार्क, शिक्षण व मेडिकल कॉलेजों का नाम बदलना आदि ऐसे घोर जातिवादी कृत्य हैं, जिसको माफ करना असंभव है।
राजनीतिक दल एक ही थाली के चट्टे-बट्टे- मायावती
आगे उन्होंने लिखा कि, इन पार्टियों के विपरीत बीएसपी अपने अनवरत प्रयासों से यहां जातिवादी व्यवस्था को खत्म करके समतामूलक समाज अर्थात सर्वसमाज में भाईचारा बनाने के अपने मिशन में काफी हद तक सफल रही है। लेकिन सपा अपने संकीर्ण राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए उसको बिगाड़ने में हर प्रकार से लगी हुई है। लोग जरूर सावधान रहें। स्पष्ट है कि, कांग्रेस व भाजपा आदि की तरह ही सपा भी अपनी नीयत व नीति में खोट के कारण कभी भी दलितों-बहुजनों की सच्ची हितैषी नहीं हो सकती है, किंतु इनके वोटों के स्वार्थ की खातिर लगातार छलावा करती रहेगी, जबकि बीएसपी ‘बहुजन समाज’ को शासक वर्ग बनाने को समर्पित व संघर्षरत है।
लोगों को सतर्क रहने का संदेश
समाजवादी पार्टी दलितों के वोटों के स्वार्थ की खातिर यहां किसी भी हद तक जा सकती है। अतः दलितों के साथ-साथ अन्य पिछड़ों व मुस्लिम समाज आदि को भी इनके किसी भी उग्र बहकावे में नहीं आना है। इनके राजनीतिक हथकण्डों का शिकार होने से जरूर बचना चाहिए।
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