भोपाल। 'एमपी अजब है, सबसे गजब है' यह बिल्कुल सही है, क्यों इस बार मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में हैरतअंगेज मामला सामने आया है। दरअसल, यहां सांप घोटाला हो गया है। इस घोटाले में कुल 279 लोगों को मृत दिखाया गया और 11 करोड़ 26 लाख रुपए का घोटाला हो गया। लेकिन इतने रुपए सिर्फ 47 लोगों के खाते में ही गए।
जानिए किस तरह हुआ घोटाला
हम बताते है, एक शख्स को सांप ने काटा, कहा गया कि वो मर गया है, लेकिन फिर वो जिंदा हो गया। फिर सांप ने काटा, फिर मर गया। ऐसा 28 बार हुआ। घबराइए नहीं, अगला मामला धैर्य से पढ़िए, फिर एक महिला को तो सांप ने 29 बार काट लिया। हर बार फिर जिंदा हो जाती थी। फिर उसे कागज़ों पर मार दिया जाता था। इन दोनों मामलों में एक बात समान लगती है कि जितनी बार शख्स मरा या जितनी बार महिला की मौत हुई, हर बार उनके परिवार वालों को प्राकृतिक आपदा राहत कोष से 4 लाख रुपए का अनुदान मिला। मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में 47 लोगों को 279 बार मार दिया गया और हर बार सबके परिजनों को 4-4 लाख रुपए की सहायता राशि दे दी गई।इतना ही नहीं, इसमें घोटालेबाजों ने लोगों को सिर्फ सांप से कटवाकर ही नहीं मारा, कुछ को पानी में डूब जाने से मृत घोषित करवा दिया तो कुछ पर आसमाी बिजली से मरा घोषित कर दिया।
राजस्व विभाग की ऑडिट रिपोर्ट से खुलासा
बता दे कि, मध्यप्रदेश में ये पूरा घोटाला वर्ष 2019 से लेकर 2022 तक चलता रहा। गौर करने की बात यह है कि इस दौरान राज्य में कांग्रेस की भी सरकार थी और भाजपा की भी थी। इसका खुलासा नवंबर 2022 में राजस्व विभाग के ऑडिट में हुआ। आरोप है कि सिवनी के केवलारी तहसील कार्यालय के क्लर्क सचिन दहायत ने 279 लोगों को सांप के काटने, पानी में डूबने और आकाशीय बिजली से मृत दिखाकर, सबके नाम पर 4-4 लाख रुपए की सहायता राशि मंजूर कराई। ये रकम उसने अपने रिश्तेदारों और परिचितों के खातों में ट्रांसफर करवा ली। इस घोटाले में कुल 279 लोगों को मृत दिखाया गया और 11 करोड़ 26 लाख रुपए का गबन कर डाला।
एक निजी टेलीविजन के मुताबिक, द्वारका बाई के पते पर जाकर जब गांव वालों से पूछताछ की गई तो मालूम हुआ कि वहां इस नाम से कोई महिला रहती ही नहीं है। मृतकों की लिस्ट में एक 70 वर्षीय संत कुमार भी शामिल हैं, रिपोर्ट के मुताबिक संत कुमार अभी जीवित हैं।
इस पर कलेक्टर संस्कृति जैन ने बताया कि, वर्ष 2019 से 2022 के बीच केवलारी तहसील में क्लर्क सचिन दहायत ने कई प्रकरणों में राशि अन्य खातों में ट्रांसफर की। यह 11 करोड़ 26 लाख रुपए का घोटाला था, जिसकी विधिवत जांच कराई गई। वित्त विभाग ने जांच रिपोर्ट सौंप दी है। सचिन दहायत को विभागीय जांच के बाद बर्खास्त कर दिया गया। उस समय 37 आरोपी बनाए गए थे, जिनमें से 21 पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं। वित्त विभाग के जांच प्रतिवेदन पर नियमानुसार कार्रवाई की जा रही है।
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