रायपुर. छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के झीरम घाटी में हुए नक्सल हमले की 10वीं बरसी 25 मई को मनाई गई. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने झीरम घाटी शहादत दिवस पर जगदलपुर के लालबाग स्थित झीरम मेमोरियल में झीरम घाटी के शहीदों को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि नक्सलवाद के खिलाफ सर्वाेच्च कुर्बानी देने वाले शहीदों की शहादत को बेकार नहीं जाने देंगे, साल वनों के द्वीप बस्तर क्षेत्र को नक्सलवाद से मुक्त कर फिर से शांति का टापू बनाएंगे. इस मौके पर उपस्थित सभी लोगों को प्रदेश को पुनः शांति का टापू बनाने की शपथ ली.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि झीरम घाटी की घटना को दस बरस हो गए हैं. हर साल हम लोग झीरम के शहीदों को नमन करते हैं और जब भी 25 मई आता है, हम सब का दिल भर जाता है, जो बच गए उन्होंने घटना को अपनी आंखों से देखा, वे बताते थे कि घटना कितनी भयावह थी. मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि इस घटना में शहीद हुए नेताओं ने परिवर्तन की बात कही थी. जिसका शुभारंभ सरगुजा से हुआ था. हमारे नेता कहते थे कि किसानों, आदिवासियों, युवाओं और महिलाओं के जीवन में परिवर्तन लाना है. परिवर्तन का संकल्प लेने वाले हमारे सभी बड़े नेता हमारे बीच नहीं रहे. उन्होंने झीरम में अपनी शहादत दी है.
झीरम की घटना को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी राज्यसभा की सदस्य फूलो देवी नेताम निकली और उन्होंने कहा कि यह बंद करो. वो एक बहादुर महिला हैं. जब हमारे नेताओं को चारों ओर से घेर लिया गया था. शहीद महेंद्र कर्मा निकले और नक्सलियों से कहा कि बेकसूरों को मारना बंद करो, गोलियां चलाना बंद करो. तुम्हारी दुश्मनी मुझसे है. मैं आत्मसमर्पण करता हूं. मैं बस्तर टाइगर, मैं महेंद्र कर्मा इस प्रकार की बात उन्होंने कही. महेंद्र कर्मा ने माफी नहीं माँगी, अपने प्राणों की आहुति दे दी. किसके लिए, बस्तर के लिए, प्रदेश के लिए, लोकतंत्र के लिए, हम सबके लिए। अपनी जान देकर अपनों को बचाने का उनका संकल्प कितना बड़ा था, यह समझा जा सकता है.
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