बस्तर। छत्तीसगढ़ के भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव में आरक्षण में कटौती को लेकर सर्व आदिवासी समाज की नाराजगी खुलकर सामने आनी शुरु हो गई है। इस सीट के लिए चुनाव प्रचार करने ग्राम पंचायत बोगर पहुंचे सूबे के मंत्री कवासी लखमा को आदिवासी समाज के विरोध का सामना करना पड़ा। विरोध इतना कि उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री मांडवी के समर्थन में प्रचार करने से भी स्थानीय आदिवासियों ने रोक दिया।
जानकारी के अनुसार, आदिवासियों का कहना है कि, हमारे अधिकारों का विरोध करने वाला हमारा नेता हो ही नहीं सकता। इसी बीच आदिवासियों ने मंत्री लखमा के सामने ही राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की। इस दौरान समाज के लोगों की मंत्री लखमा के बीच बहस भी हुई। दरअसल, छत्तीसगढ़ में आदिवासियों का आरक्षण 32 से घटकर 20 प्रतिशत हो जाने की वजह से आदिवासी समाज काफी नाराज हैं।
बता दे कि, आदिवासियों के आरक्षण में कटौती का विरोध करने के लिए आदिवासी समाज ने विधानसभा क्षेत्र की सभी 85 पंचायतों से एक-एक प्रत्याशी को मैदान में उतारने की योजना बनाई थी। 42 पंचायतों से एक एक अभ्यर्थी ने नामांकन पत्र भी खरीदा था। हालांकि सभी ने नामांकन दाखिल नहीं किया। समाज के प्रतिनिधियों में 15 का नामांकन सही दस्तावेजों के साथ जमा नहीं करने की वजह से खारिज हो गया था। नामांकन पत्र की जांच के बाद 21 प्रत्याशी मैदान में थे, लेकिन आखिरी समय में कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकारों ने आदिवासी समाज के 11 सदस्यों को अपने पाले में कर लिया और अन्य ने मैदान छोड़ दिया। अब इस चुनावी मैदान में सात प्रत्याशी है।
इधर, छत्तीसगढ़ में आदिवासी समाज के आरक्षण में कटौती के विरोध में भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय अनिश्चितकालीन धरने पर घर के पास ही बैठ गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की नाकामी की वजह से प्रदेश के आदिवासियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकार भाजपा पर आरोप लगा रही है, लेकिन सच यही है कि सरकार ने ठीक ढंग से कोर्ट में आदिवासियों का पक्ष नहीं रख पाई।
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