दुर्ग/रायपुर। छत्तीसगढ़ के दुर्ग केन्द्रीय जेल से एक बड़े वसूली गैंग का खुलासा हुआ है। ये गैंग जेल में रह रहे कैदियों से मारपीट नहीं करने और स्वयं की सुरक्षा के लिए अवैध वसूली का धंधा चलाते थे। यह खुलासा 500 रुपए की वसूली की शिकायत के बाद खुला है। जब पुष्पेंद्र पटेल नाम के कैदी को जेल में बंद कैदियों ने धमकाया और पैसों की मांग की। जिसके बाद इस मामले को लेकर पुष्पेंद्र ने जेल पुलिस प्रशासन से शिकायत की थी। प्रशासन की लंबी जांच पड़ताल के बाद जेल प्रहरी समेत 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
जेल में वसूली का नेटवर्क
बताया जा रहा है कि, दुष्कर्म और हत्या के दो आरोपी वसूली का पूरा नेटवर्क जेल व बाहर से चला रहे थे। पकड़े गए आरोपी गैंग चलाने वालों के रिश्तेदार हैं। अब तक 100 से अधिक मोबाइल नंबर और कई दुकानदारों के तार जुड़े होने का खुलासा हो चुका है। यहीं नहीं सिर्फ इस गैंग से 5 लाख रुपए से ज्यादा की वसूली का कच्चा चिट्ठा भी पुलिस को मिला है। सरगना पूरी प्लानिंग के साथ वसूली करते थे। गैंग जेल में बंद कैदियों से मारपीट नहीं करने के नाम पर कॉल जेल में बंद कैदियों से फोन करते थे। इसके बाद UPI नंबरों के जरिए पैसों की वसूली की जाती। कई परतों में मोबाइलों का उपयोग भी किया जाता था। पैसों का ट्रांजेक्शन भी एक UPI से दूसरे तक पहुंचता था। पुलिस सूत्र बताते हैं कि अगर जांच का दायरा बढ़ा तो जेल के कई कर्मचारी भी जांच के दायरे में आएंगे।
जानिए क्या है मामला?
दुर्ग जिले के पद्मनाभपुर पुलिस ने 1 अप्रैल को एक शिकायत पर अवैध वसूली की धारा में केस दर्ज किया था। जांच शुरू की गई। पुलिस के मुताबिक, खुर्सीपार पुलिस ने पुष्पेंद्र पटेल को किसी मामले में जेल भेजा था। आरोप है कि, पुष्पेंद्र को जेल में बंद कैदियों ने धमकाया और कहा गया कि अगर वह जेल में सुरक्षित रहना चाहता है तो 1 लाख रुपए का इंतजाम करें। उसे सहुलियत दी गई कि, वह अपने परिजनों से पैसा मंगवाए। इस पर पुष्पेंद्र ने मोबाइल से अपने रिश्तेदार से संपर्क किया। रिश्तेदार ने पुष्पेंद्र के बताए मोबाइल नंबर पर 500 रुपए का ट्रांसफर किए। इसके बाद जेल से वसूली की शिकायत की गई थी।
ऐसे हुआ खुलासा
पुलिस ने सबसे पहले इजराइल नाम के युवक को गिरफ्तार किया। उससे पूछताछ पर पूरे नेटवर्क का खुलासा हुआ। जांच में पता चला कि, इजराइल कुमार के साथ वासनिक, अजय दीवान, संजय वासनिक और लुकेश्वरी साहू शामिल हैं। इन पांचों के UPI नंबरों पर पैसा जमा होता था। पुलिस को विवेचना के दौरान आरोपी प्रतीक वासनिक ने जेल प्रहरी दिवाकर सिंह पैकरा को पैसे भेजना बताया था। प्रकरण में जेल प्रहरी का नाम आने पर जेल प्रशासन के सहयोग से जेल प्रहरी दिवाकर सिंह पैकरा से पूछताछ करने पर बताया कि जेल में निरूद्ध बंदी संदीप वासनिक द्वारा आरोपी प्रतीक वासनिक के माध्यम से इसे पैसा भिजवाया है जो जेल में सामान पहुंचाने के एवज में लिया जाना स्वीकार किया। आरोपी के मोबाइल फोन पे पर रकम आना पाया गया। आरोपी के विरूद्ध पर्याप्त साक्ष्य पाए जाने से घटना में प्रयुक्त मोबाईल फोन व स्टेटमेंट जप्त आरोपी को विधिवत गिरफ्तार किया गया है।
ऐसे चलता है वसूली का नेटवर्क
पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया कि जेल में बंद आरोपी पहले बंदियों को धमकाते हैं। फिर उन्हें परिजनों से फोन पर बात कराने मोबाइल उपलब्ध कराते हैं। बंदी परिजन से बात करके पैसों की मांग करता है। इसके बाद सजायाफ्ता कैदी पैसा जमा करने के लिए UPI वाले नंबर उपलब्ध कराते हैं। इसी में पैसों का लेनदेन होता है। कई बार पैसा पहले एक UPI में जमा कराया जाता है। इसके बाद उस पैसे को बाहर बैठे उनके गुर्गे दूसरे से तीसरे और कई बार मल्टीपल UPI नंबरों पर ट्रांसफर करके ठिकाने लगाते हैं। पूछताछ में यह भी पता चला है कि जेल में बंदी मोबाइल को जमीन की अंदर करीब डेढ़ फिट गड्ढ़ा करके छिपा देते है।
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